श्री गुरु अर्जुन दास सत्संग भवन

0 minutes, 1 second Read

श्रीगंगानगर 7 अप्रैल: श्री गुरु अर्जुन दास सत्संग भवन के संस्थापक एवं श्री रूद्र हनुमान सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गुरु अर्जुन दास जी के द्वारा आज सत्संग भवन में हनुमान जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। गुरु जी द्वारा सभी को हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई दी गई।  सुबह सुंदरकांड का पाठ और राम नाम जाप, सत्संग किया गया।  उसके बाद  लड्डू, बूंदी व केले का भोग लगाया गया और प्रसाद वितरण किया। समिति द्वारा सेवाएं श्री गुरु अर्जुन दास, चानन राम छाबड़ा, हुक्मी देवी, संगठन मंत्री सतपाल कोर, अनुज मल्होत्रा,समीर भटेजा, नरेश अग्रवाल, आशा रानी, एमडी सतीश, राजरानी, दिया, खुशी, निशा, अभिषेक निर्वाण, सुमन, साहिल, देवेंद्र, संजू, नरेश पण्डित व अन्य सदस्यों द्वारा दी गई। सभी ने तन मन से सेवा दी।
श्री गुरु अर्जुन दास जी ने कहा कि हनुमान जी को कलियुग में सबसे प्रमुख ‘देवता’ माना जाता है। रामायण के सुन्दर कांड और तुलसीदास की हनुमान चालीसा में बजरंगबली के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। हनुमान जी का किरदार हर रूप में लोगों के लिए प्रेरणादायक है। हनुमान जी के बारे में तुलसीदास लिखते हैं, ‘संकट कटे मिटे सब पीरा,जो सुमिरै हनुमत बल बीरा। हनुमान जी के कुछ गुणों को अपनाकर हम भी अपने जीवन की काफी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं जैसे कि- 1.संवाद कौशल-
सीता जी से हनुमान पहली बार रावण की ‘अशोक वाटिका’ में मिले, इस कारण सीता उन्हें नहीं पहचानती थीं। एक वानर से श्रीराम का समाचार सुन वह आशंकित भी हुईं, परन्तु हनुमान जी ने अपने ‘संवाद कौशल’ से उन्हें यह भरोसा दिला ही दिया की वह राम के ही दूत हैं।
‘कपि के वचन सप्रेम सुनि, उपजा मन बिस्वास। जाना मन क्रम बचन यह ,कृपासिंधु कर दास।
आदर्शों से कोई समझौता नहीं-आदर्शों से कोई समझौता नहीं
लंका में रावण के उपवन में हनुमान जी और मेघनाथ के मध्य हुए युद्ध में मेघनाथ ने ‘ब्रह्मास्त्र’ का प्रयोग किया। हनुमान जी चाहते, तो वह इसका तोड़ निकाल सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वह ब्रह्मास्त्र का महत्व कम नहीं करना चाहते थे। ‘ब्रह्मा अस्त्र तेंहि साधा, कपि मन कीन्ह विचार। जौ न ब्रहासर मानऊं, महिमा मिटाई अपार। बहुमुखी भूमिका में हनुमान ‘सूक्ष्म रूप धरी सियंहि दिखावा,विकट रूप धरी लंक जरावा।’ समस्या नहीं समाधान स्वरूप-जिस समय लक्ष्मण रण भूमि में मूर्छित हो गए, उनके प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी पूरा पर्वत ही उठा कर ले आए।5.आत्ममुग्धता से कोसों दूर-सीता जी का समाचार लेकर सकुशल वापस पहुंचे श्री हनुमान की हर तरफ प्रशंसा हुई, लेकिन उन्होंने अपने पराक्रम का कोई किस्सा प्रभु राम को नहीं सुनाया। यह हनुमान जी का ब?प्पन था,जिसमे वह अपने बल का सारा श्रेय प्रभु राम के आशीर्वाद को दे रहे थे। प्रभु श्रीराम के लंका यात्रा वृत्तांत पूछने पर हनुमान जी जो कहा उससे भगवान राम भी हनुमान जी के आत्ममुग्धताविहीन व्यक्तित्व के कायल हो गए। इस तरह से हम हनुमान जी के गुणों को अपनाकरके भी अपने जीवन की बाधाओं को दूर कर सकते है।
शाखा बीकानेर द्वारा भी हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर सुंदरकांड का पाठ  व सत्संग आयोजन किया गया। बूंदी व केले का भोग लगाया गया। समिति द्वारा सेवाएं पर्यावरण संरक्षक अभिषेक गुप्ता, प्रचार मंत्री उषा गुप्ता, हिमांशी, वैभव व अन्य सदस्यों ने दी।आज श्री गुरु अर्जुन दास जी के जन्मदिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए श्री रूद्र हनुमान जी को भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया गया केक काटे गए समोसे कचोरी रशभरी बिस्कुट दुध हलवा का प्रसाद वितरण किया गया

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *