-प्रदीप पाल-
हनुमानगढ़। गेहूं खरीद में उत्पन्न हो रही समस्याओं के निस्तारण की मांग को लेकर जंक्शन, टाउन, टिब्बी, तलवाड़ा झील, पीलीबंगा सहित जिले की धानमंडियों के व्यापारियों, किसानों एवं मजदूरों ने जिला कलक्टर रुक्मणि रियार सिहाग को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से राजस्थान में लागू बोनस योजना के समय पंजाब एवं हरियाणा से गेहूं की आवक को रोकने के लिए समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद के लिए ऑन लाइन पंजीकरण करने, गिरदावरी एवं जन आधार कार्ड अनिवार्यता की शर्त लगाई गई थी, परंतु अब गेहूं खरीद पर सरकार की ओर से बोनस नहीं दिया जा रहा। इसलिए राजस्थान के सीमावर्ती राज्यों हरियाणा, पंजाब से गेहूं यहां आने की कोई संभावना नहीं है। सरकार गेहूं खरीदना चाहती है परंतु इतनी अधिक दस्तावेजी औपचारिकता जनाधार, ऑन लाइन पंजीकरण एवं गिरदावरी की अनिवार्यता वर्तमान समय में है कि किसान पूरी नहीं कर सकता है। औपचारिकता पूर्ण करने के बाद भी गेहूं एक दिन में नहीं बेची जा सकती है। अगर दूसरे या तीसरे दिन किसान को दोबारा गेहूं लानी पड़े तो फिर वही प्रक्रिया दोबारा पूरी करनी पड़ेगी। संभावना यह भी है कि उस जन आधार कार्ड पर किसान दोबारा गेहूं विक्रय भी नहीं कर सकता है। इस दस्तावेजी अनिवार्यता की दुविधा से बचने के लिए किसान को अपनी गेहूं 50 से 100 रुपए प्रति क्विंटल मंदे में ही गेहूं बेचना चाहेगा और सरकार की ओर से दिए जा रहे एमएसपी मूल्य का लाभ से वंचित रह जाएगा। बारिश से प्रभावित 100 प्रतिशत लस्टर लॉस (चमक हीन) की छूट दिए जाने की मांग करते हुए ज्ञापन में बताया गया कि वर्तमान समय में किसानों को बेमौसमी बरसात से भारी मार झेलनी पड़ रही है। इससे भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। कृषि जिंस बारिश से प्रभावित हुई है। बारिश की वजह से गेहूं की चमक में भी कमी आई है। इस कारण किसान परेशान है। सरकार की ओर से लागू दस्तावेजी अनिवार्यताओं के चलते तथा चमकहीन 100 प्रतिशत गेहूं जिसे सरकार की ओर से एफसीआई के जरिए खरीद नहीं किया जा रहा है, इससे किसान अपने गेहूं की फसल राजस्थान राज्य से पड़ोसी राज्यों जिनमें उक्त दस्तावेजी अनिवार्यता लागू नहीं है, में ले जाने को विवश होगा। इससे राज्य को राजस्व की आर्थिक हानि होगी और राज्य की जनकल्याणकारी योजनाओं एपीएल, बीपीएल इत्यादि में गेहूं वितरण के लिए अन्य राज्यों से अतिरिक्त धनराशी खर्च कर मंगवाना पड़ेगा। ज्ञापन में बताया गया कि हनुमानगढ़ जिले के व्यापारी जो नियत समय पर अपना टैक्स भरते हैं। इससे राज्य सरकार की ओर से विभिन्न जनकल्याण के लिए योजनाओं निशुल्क चिकित्सा सेवा, बिजली-पानी, सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर इत्यादि का वितरण किया जाता है। व्यापारी एवं किसान अनावश्यक दस्तावेजी अनिवार्यताओं के चलते परेशान हैं। इससे इनमें रोष उत्पन्न होने लगा है जो कि आंदोलन का रूप ले सकता है। ज्ञापन में मांग की गई कि जनाधार, ऑन लाइन पंजीकरण एवं गिरदावरी की शर्त को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए। किसान के गेहूं की खरीद के लिए सरल तरीका अपनाया जाए। आधार कार्ड एवं बैंक पास बुक के माध्यम से गेहूं की खरीद की जाए। बारिश से प्रभावित हुए 100 प्रतिशत चमक हीन गेहूं की सरकार की ओर से एफसीआई के जरिए खरीद की जाए ताकि किसान को उसकी फसल का पूरा मूल्य मिल सके एवं सरकार को गेहूं प्राप्त हो सके तथा राजस्व की हानि नहीं हो। किसानों, व्यापारियों व मजदूरों ने इन मांगों पर विचार नहीं किए जाने पर मजबूरन हड़ताल जैसे कदम उठाने की चेतावनी दी। इस मौके पर फूडग्रेन मर्चंेट्स एसोसिएशन संस्था अध्यक्ष सन्तराम जिन्दल, हनुमानगढ़ जिला खाद्य व्यापार संघ कोषाध्यक्ष एवं व्यापार मंडल जंक्शन अध्यक्ष प्यारेलाल बंसल, व्यापार संघ संस्था हनुमानगढ़ अध्यक्ष राजकुमार सोडा, जिला खाद्य व्यापार संघ सचिव अजय सराफ, अनिल कुमार बंसल, मदन लाल गोयल, विजय रोंता, सन्नी जुनेजा, विनय गर्ग, रमेश डाबला, भगवान सिंह खुड़ी, दलीप सिंह ढिल्लों, पवन बंसल, सुरेन्द्र सिंह शेखावत आदि मौजूद थे।
