– श्रीमद्भागवत कथा के समापन दिवस पर बोली गुरू मां, कहा बचपन से ही दे बच्चों को अच्छी आदतें
– विशिष्ट सहयोग एवं सेवाओं के लिए जैन बंधुओं का किया सम्मान
श्रीगंगानगर, 13 अप्रैल। लूट के ले गया दिल जिगर, सांवरा जादुगर.., हे प्रभु मुझे बता दो, चरणों में कैसे आंऊ.., आदि भजनों पर पंडाल में उपस्थित महिलायें झूम उठी। मौका था बाबा रामदेव मंदिर के अंदर बने चितलांगिया भवन में चल रही सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर, जिसमें आज सातवें दिन सुदामा चरित्र एवं कृष्ण भगवान के जीवन के बारे में वर्णन किया गया। कथा की शुरूआत में यजमान उदय चंद अग्रवाल, राजकुमार जैन, सौरभ जैन, नवीन अग्रवाल आदि ने भागवत पूजन व मंगल आरती की। समापन दिवस की कथा कहते हुए कथा व्यास गुरू मां चैतन्य मीरा ने कहा कि पत्नि के जीवन की सबसे बड़ी जरूरत है अपने पति का समय, जो आज कल बहुत कम हो गया है। अगर किसी को सबसे अमूल्य चीज कुछ देनी हो तो वो समय ही है। उन्होंने वर्तमान के बच्चों के संस्कारों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हमें अपने बच्चों को बचपन से अच्छी आदतें और संस्कार देनी चाहिए। अगर वे गलतियां कर रहे है तो उन्हें छुपाने की जगह सही समय पर रोक लिया जाये तो वे आगे नहीं बढ़ेंगी। अगर गलती करते ही हम अपने बच्चों को धमका दे या दो थप्पड़ मार देंगे तो वो आगे चलकर कभी भी वो गलती दोबारा नहीं करेंगे और एक अच्छे नागरिक बन सकेंगे। कथा के दौरान भगवान कृष्ण के जीवन में बारे में चर्चा करते हुए कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने हमें जीवन जीने की कलाएं सिखाई है। कथा के दौरान उन्होंने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता हो तो कृष्ण सुदामा जैसी, जिसमें ना कृष्ण का स्वार्थ था और ना ही सुदामा का स्वार्थ था, और जो निस्वार्थ होती है वोही सच्ची मित्रता होती है। इस पर नन्ही बच्ची काशवी अग्रवाल व परी गर्ग से भगवान श्रीकृष्ण बनकर मनमोहन प्रस्तुति दी, जिसकी सभी ने सराहना की। कथा के समापन पर व्यास पीठ की दक्षिणा मांगते हुए गुरु मां ने कहा कि इस कथा की यही दक्षिणा है कि आप आपने सभी अवगुण, दुःख, दर्द आदि हमें दे दे और मेरे श्रीठाकुर जी आप सभी का मंगल करे। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि जो लोग जर्दा, बीड़ी, सिगरेट, शराब आदि का सेवन करते है वे आज संकल्प करे कि इन्हें छोड़ देंगे यही हमारी सबसे बड़ी दक्षिणा होगी। इसके बाद कथा के दौरान फूलों की होली भी खेली गई। आज कथा का समापन हवन के साथ हुआ, जो पं. जनार्दन शर्मा के आचार्यत्व में पूर्ण विधिविधान के साथ संपन्न हुआ। कथा के समापन अवसर पर विशिष्ट सेवाओं के लिए एडगुरू राजकुमार जैन एवं सौरभ जैन का गुरू मां चैतन्य मीरा, उर्मिला तापडिय़ा, उदय चंद अग्रवाल आदि ने शॉल ओढाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। कथा के दौरान शीनम महेश गोयल ने भी भजन सुनाया, जिसपर सभी भावविभोर हो गए। कथा के अंत में सभी ने सामूहिक हवन किया व विशाल भण्डारा भी बरताया गया।