दुधारू पशुओं में (मेटाबोलिक) उपापचय रोगों का वैज्ञानिक प्रबंधन कैसे करे

0 minutes, 1 second Read
Dr. Manish Kumar San

दुधारू पशुओं में (मेटाबोलिक) उपापचय रोगों का वैज्ञानिक प्रबंधन कैसे करे


श्रीगंगानगर, 25 मार्च। पशु विज्ञान केंद्र, सूरतगढ़ के द्वारा डेयरी पशुओं में उपापचय रोगों के बचाव एवं उपचार विषय पर ऑनलाइन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन शनिवार को प्रभारी अधिकारी डॉ. राजकुमार बेरवाल के निर्देशन में आयोजित किया गया।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मनीष कुमार सेन ने ऑनलाइन माध्यम से सभी पशुपालकों का स्वागत व्यक्त किया और बताया कि डेयरी पशुओं में उपापचय रोग जीवाणु, विषाणु या परजीवी से नहीं होते परंतु यह पशुओं को संतुलित आहार विटामिन और मिनरल्स की पूर्ण रूप से पूर्ति नहीं होने की वजह से होते हैं। पशुपालकों को पशु के ब्याने से पहले और बाद में मिनरल मिक्सर कैल्शियम फास्फोरस विटामिंस इत्यादि पशु चिकित्सक की सलाह से आवश्यक रूप से देने चाहिए, जिससे दूधिया बुखार (मिल्क फीवर), कीटॉसिस, पोस्ट पारचूरेंट हिमोग्लोबिनुरिया, डाउनर कॉउ सिंड्रोम जैसी समस्याएं नहीं होगी।
डॉ मनीष ने पशुपालकों को बताया कि पशुओं में प्रेगनेंसी टॉक्सेमिया, पी.पी.एच. (लहू मतना) मिट्टी खाना, कमजोरी आना इत्यादि के रोग निदान, उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रशिक्षण शिविर में पशु विज्ञान केंद्र के द्वारा लेबोरेटरी में पीएच स्ट्रिप टेस्ट, कैलिफोर्निया मैस्टाइटिस टेस्ट (सीएमटी) दूध की जांच एवं में मूत्र (रोथर्रा टेस्ट), गोबर, खून, ब्रूसेलोसिस की निःशुल्क जांच के बारे में विस्तार से बताया। प्रशिक्षण शिविर में कुल 40 पशुपालकों ने भाग लिया।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *