राजस्थानी को व्यवहार की भाषा बनाकर मान्यता देने वाले पहले मॉडल गांव बहलोलनगर में एक बार फिर से मायड़ भाषा राजस्थानी को मान्यता देने की मांग उठी है। श्री श्याम टेंट एंड केटर्स के मुहूर्त पर बैनर, पोस्टर से लेकर निमंत्रण पत्र तक राजस्थानी में छपवाकर राजस्थानी को मान्यता देने की मांग की है। ग्रामीण नितिन बंसल ने बताया कि इससे पहले उनकी तीन दुकानों के बैनर, पोस्टर भी राजस्थानी में छपवा रखे हैं। राजस्थानी में लिखकर गर्व महसूस होता है परन्तु गौरवशाली भाषा को मान्यता नहीं होना शर्मनाक है। राजस्थानी भाषा संस्कृति और संस्कार बहुत जरूरी है। राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए आम आदमी को जोड़ना बहुत जरूरी है। उन्होंने घोषणा की कि कोई भी ग्रामीण विवाह या अन्य कार्यक्रमों के बैनर, कार्ड आदि यदि राजस्थानी में छपवाएगा तो उनको किराये आदि में छूट दी जाएगी। राजस्थानी भाषा के आयोजनों में भी सहयोग करेंगे।
विनोद राजावत ने कहा कि राजस्थान के युवाओं को नौकरीयों में बहुत बड़ा फायदा होगा। इस अभियान में युवाओं को बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए क्योंकि सबसे बड़ा फायदा राजस्थान के युवाओं को ही मिलेगा। आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी अभियान के संयोजक हरीश हैरी ने बताया कि यह जमीनी अभियान सोशल मीडिया के माध्यम से बहुत तेजी से फैल रहा है। यदि गांव गांव में इस तरह से राजस्थानी को रिवाज बना लें तो मान्यता बहुत जल्दी मिलेगी। आस पास के कई गांवों से पहुंचे अतिथियों ने राजस्थानी भाषा के लिए पूरे गांव की जागरुकता की तारीफ की। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।