माँ की ममता : बच्चे को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गई बंदरिया, 15 से 20 मिनट तक आवारा कुत्तों से लडती ओर चिल्लाता रही, दोनों की हुई मौत

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माँ की ममता : बच्चे को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गई बंदरिया, 15 से 20 मिनट तक आवारा कुत्तों से लडती ओर चिल्लाता रही, दोनों की हुई मौत

पहले तो बंदरिया के नवजात बच्चे को मौत के बाद लोगों ने दी समाधि, 2 घंटे बाद बंदरिया ने भी तोड़ा दम

प्रवीण राजपुरोहित

रेवदर- इस संसार में माँ की ममता का मोल कोई भी नहीं चुका सकता है, जो न सिर्फ अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चे को जन्म देती है बल्कि ताउम्र उसकी रक्षा भी करती है। ईश्वर ने सिर्फ इंसान को ही माँ की ममता से नहीं नवाजा है, बल्कि जीव जंतुओं में भी यह भावना देखने को मिलती है। मामला उपखंड के समीपवर्ती नागाणी कस्बे के आवरीया रोड का है जहाँ पर मंगलवार सुबह 7 बजे एक नवजात को जन्म दे रही बीमार बंदरिया पर हमला बोल कर 5 आवारा कुत्तों ने घेर लिया। फिर उसे व नवजात बच्चे को तब तक नोचा जब तक नवजात बच्चा मर नहीं गया। इस घटना को सुनने के बाद हर कोई हैरान नजर आया। घटनाक्रम को लेकर ग्रामीणों ने बताया की मंगलवार सुबह 7 बजे एक बीमार बंदरियां अपने नवजात बच्चे को जन्म दे रही थी। तभी पीछे से करीब 5 आवारा कुत्तों ने बंदरिया ओर नवजात बच्चे पर हमला कर दिया। जिस पर बंदरिया नवजात बच्चे को बचाने के लिए करीब 15 से 20 मिनट तक आवारा कुत्तों से लडती ओर चिल्लाता रही। लेकिन अंत में थक जाने के बाद आवारा कुत्तों ने आखिर बंदरिया के नवजात बच्चे को नोछ कर मौत के घाट उतार दिया। जिसके बाद पास में ही खेल रहे बच्चे द्वारा उक्त घटना को देखने पर मौके पर पहुंचे और जैसे तेसे करके आवारा कुत्तों से बंदरिया को छुड़ाया तब तक बंदरिया व नवजात बच्चा काफी घायल हो चुके थे। जब ग्रामीणों को सूचना मिली तो तुरंत ही पशु चिकित्सक को मौके पर बुलाया और जन्म दे रही बंदरिया के नवजात को गर्भ से मृत बाहर निकाला। हमले में बंदरिया भी स्वयं घायल हो गई।जिसकी सूचना सिरोडी वन विभाग को दी गई लेकिन वहां पर कर्मचारियों का अभाव होने के चलते पिंडवाड़ा वन विभाग को जानकारी दी। लेकिन जब तक पिंडवाडा वन विभाग की टीम पहुंची तब तक 2 घंटे बाद बंदरिया की भी मौत हो चुकी थी।

पहले तो बंदरिया के नवजात बच्चे को मौत के बाद लोगों ने दी समाधि, 2 घंटे बाद बंदरिया ने भी तोड़ा दम

आवारा कुत्तों के हमले में मृत बंदरिया के नवजात बच्चे को लेकर ग्रामीणों ने बंदरिया के नवजात बच्चे को समाधि देने का इंतजाम कर रखा था। जिसके बाद हिंदू रीति रिवाज से ग्रामीणों द्वारा ढोल धमाकों के साथ नवजात बच्चे को समाधि दी गई। लेकिन उसके मात्र 2 घंटे बाद ही हमले में घायल बंदरिया की मौत हो गई और उसकी भी पास में ही समाधि दी। इस दौरान पास में ही मौजूद नरेगा की महिला मजदूरों ने धार्मिक गीत भी गाए। जिसके बाद गांव में इस घटनाक्रम को लेकर चर्चाएं हुई तो आवारा कुत्तों द्वारा बंदरिया व उसके नवजात बच्चे पर हमले की घटना से लोगों की रूह कांप उठी ओर बताया की कुत्तो के हमले को लेकर बंदर अपना बचाव करता रहा लेकिन कुत्ते उस पर हमलावर रहे। जिससे बंदरिया पांच कुत्तों से अपने व नवजात को नहीं बचा सकी और उसने दम तोड़ दिया। दोनों की मौत के बाद हर कोई दुखी नजर आया। वही वहाँ पर मौजूद महिलाओं ने बताया की आखिर मां का दर्द मां ही जान सकती है।

बंदरिया व बच्चे की मौत के बाद
नरेगा मजदूरों ने राशी की जमा, हनुमान भक्त मानते हुए दान पुण्य का लिया निणर्य

नागाणी के आवरीया रोड पर कुत्तों के हमले में बंदरिया व उसके नवजात बच्चे की मौत के बाद पास समाधी स्थल के पास में ही काम कर रहे नरेगा मजदूरों ने उनको हनुमान जी मानते हुए एक पहल चलाते हुए दान पुण्य करने के लिए प्रत्येक मजदूर से 100 इकट्ठा किए ओर अनुमानित करीब 100 के आसपास नरेगा मजदूर कार्य करते हे जिसके हिसाब से करीब दस हजार रूपयो शामिल किए ओर दान पुण्य व प्रसादी करने का निर्णय लिया गया। जिसको लेकर भी गाँव में चर्चाए रही।

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