रामसिंहपुर मंडी में एक साथ चार आर्थिया उठी

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पूरे मंडी के लोगों की आंखें हुई नमः 2 दिन रही मंडी बंद शोक स्वरूप में

अनूपगढ (बाबूलाल कुदावला) जिले की रामसिंहपुर मंडी के वार्ड नं 10 में जब रविवार को एक साथ 4 अर्थियां उठी तो हर किसी की आंखे नम हो गई। चारो शवो के अंतिम दर्शन करने वाले परिवार पर मानो दुखो का पहाड़ टूट पड़ा, चारो अर्थियो आंसुओ से भीगी आंखे जिसने ऐसा ह्रदयविदारक नजारा देखा, हर काेई उस घड़ी को कोस रहा है जब यहां के एक ही परिवार के चार जनों की पंजाब के मोगा में हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे में मौत हो गई। दरअसल, शुक्रवार को रतन सिंह के दो बेटे, छोटा बेटा सोहावत (32) उसकी पत्नी लवप्रीत कौर (30) और बड़ा बेटा कर्मवीर (35) उसकी पत्नी मनप्रीत कौर (32) कार में सवार होकर शादी समारोह में शामिल होने जा रहे थे। इसी दौरान पत्थरों से भरा डंपर कार पर पलट गया और इन चारों की मौत हो गई। कार में रतन सिंह के बड़े बेटे कर्मवीर की 5 साल की बेटी नवनीत कौर भी थी, जो इस हादसे में बाल-बाल बच गई। हादसा पंजाब के मोगा जिले में गांव बुट्टर कलां के पास हुआ शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे हुआ। हादसे की सूचना मिलने पर रतनसिंह शवो को लेने के लिए रवाना हुए। परिवार की स्थिति का अंदाज लगाते हुए लोगों ने दादा त्रिलोचन सिंह पिता रतन सिंह व उनकी पत्नी को बेटों के सिर्फ मामूली हादसे की खबर दी।

रामसिंहपुर मंडी में एक साथ चार आर्थिया उठी, रोते बिलखते परिजन

जानकारी के अनुसार नव विवाहित सुहावत सिंह का ससुराल मोगा में है उसकी पत्नी लवप्रीत कौर की चचेरी बहन की 23 दिसंबर को शादी थी इसलिए दोनों भाई व देवरानी जेठानी शादी में शरीक होने के लिए शुक्रवार सुबह घर से निकले थे तभी सुहावत सिंह के ससुराल से कुछ किलोमीटर पहले ही यह भीषण सड़क हादसा हो गया।

*क्षेत्र में दौड़ी शोक की लहर*

जैसे जैसे हादसे की खबर फैली वैसे ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। अचानक पहुंची ऐसी दर्दनाक खबर से पूरा क्षेत्र सकते में आ गया। हादसे की सूचना मिलने के बाद से रामसिंहपुर मंडी पूरी तरह से बंद रही। कस्बे की सुनसान गलियां इस हादसे के दर्द को बयां कर रही थी। सेकड़ो की संख्या में लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए तथा पीड़ित परिवार को सांत्वना देते हुए ढांढस बंधाया।

*बुजुर्ग माँ–बाप का बुढ़ापे का सहारा उनसे हुआ ओझल*

रतन सिंह अपने बड़े बेटे के साथ यहां रोडवेज बस स्टैंड के नजदीक वेल्डिंग की दुकान चलाते हैं ।कड़े संघर्ष और ऋण लेकर उन्होंने छोटे बेटे को कनाडा भेजा था।इससे पूर्व चारों मां बेटियां कपड़े सिल कर परिवार का सहयोग करती थीं। रतन सिंह का सम्भवतः हादसों से पुराना नाता है। जानकारों ने बताया कि लगभग 30 साल पूर्व उनके दो भाई भी हादसे का शिकार होकर चल बसे थे। दोनों भाइयों की अलग-अलग समय में बिजली के करंट से मौत हुई थी। रतन सिंह की तीन बेटियां भी है जो विवाहित हैं।नेकनीयती ,ईमानदारी और अध्यात्म से जुड़े परिवार का कभी किसी से कोई विवाद नहीं रहा। सुहावत को एहसास था कि परिवार ने हमेशा कड़े संघर्ष का सामना किया है और आर्थिक अभाव में दिन गुजारे हैं इसलिए अबकी बार वह पैसे लाया था और 15 दिन पूर्व ही नई कार खरीदी थी। हालांकि यह कार ही आखिरकार उसकी व अन्य तीन की मौत का कारण बन गई।

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