खाद्य सुरक्षा में राशन प्राप्त करने को दर दर भटकते दम्पत्ति को 2 वर्ष बीते। ग्राम पंचायत बुगिया का मामला।
श्रीविजयनगर,खाद्य सुरक्षा योजना में गरीब व्यक्ति को राशन उपलब्ध करवाए जाने की सरकार अनेक कोशिश कर रहीं हैं तो अनेक बार उपलब्धि में शामिल करती है अनेकों जन कल्याण की योजनाओं का ऐसा ही हाल है जैसे कि “ऊँची दुकानों के फिंके पकवान” इस प्रकार पात्र और वंचित लोगों को सरकार की जनकल्याण की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा इस प्रकार का मामला तब सामने आया जब एक परिवार दफ्तर-दफ्तर चक्कर काटने को विवश उपखंड अधिकारी कार्यलय श्रीविजयनगर से निराश लौटने लगा तो मीडिया कैमरे में कैद हुआ। मीडिया को जानकारी देते हुए इस दम्पति ने बताया कि लगभग तीन माह से भटक रहै है, खाद्य सुरक्षा योजना में राशन लेने के लिए नाम जुड़वाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हो चुके है,इस गरीब दंपति, पति-पत्नी महीनों से खाद्य सुरक्षा में नाम जुड़वाने के लिए कभी पंचायत, कभी ई मित्र ,कभी तहसीलदार, कभी पंचायत समिति में चक्कर लगा रहे हैं, खाद्य सुरक्षा राशन डीलर उन्हें ई मित्र पर भेज देते हैं यह मित्र वाले पंचायत समिति भेज देते हैं पंचायत समिति वाले उपखंड अधिकारी साहब के पास जाओ बोल लेते हैं, सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते लगभग तीन महीनों से भटक रहे है यह परिवार की महिमा मुखिया का नाम कंचन है जिसका नाम राशन कार्ड में जोड़ा नहीं जा रहा है, राजस्थान सरकार गरीबों को नि:शुल्क राशन उचित मूल्य की दुकानों पर खाद्य सुरक्षा के तहत उपलब्ध कराने के बड़े-बड़े दावे करती है राजस्थान सरकार अपनी उपलब्धियां भी गिनाते नहीं थकती,लेकिन जब से यह दृश्य सामने आ रहे हैं तो सरकार की उपलब्धियां सरासर झुमला हो जाती हैं, प्रदेश के आमजन और गरीबों का हाल क्या है वह इस व्यक्ति की पीड़ा सुनतें ही सामने आ जाती है,खाद्य सुरक्षा में नाम जुड़वाने को लेकर कितने चक्कर गरीब लोगों को काटने पढ़ रहे हैं जनता को चक्कर पे चक्कर लगवाए जा रहे हैं , ना कोई साहब लोगों को मिलते हैं,न पंचायत समिति में कोई सुनवाई न उपखंड दफ्तर में कोई सुनवाई! ई-मित्र पर काम नहीं हो रहे हैं, इस दंपति ने बताया कि लगभग ढाई वर्ष से खाद सुरक्षा में नाम जुड़वाने को लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने शुरू किए हैं अब भी चक्कर ही काट रहे हैं खाद्य सुरक्षा में नाम नहीं आ रहा।जब अब हम उपखण्ड अधिकारी दफ्तर आए हैं तो हमें यही जवाब मिला है कि वेबसाइट नहीं चल रही है, राजस्थान सरकार बड़े-बड़े दावे करते हुए उपलब्धि गिनाए जाती है तो देश की केंद्रीय सरकार भी अन्न योजना के दावे जुमले ठोकती रहती हैं,हर चीज को ऑनलाइन उपलब्ध करवाने के दावे कर रही है ,लेकिन खाद्य सुरक्षा पोर्टल बंद रहता हैं इसके चलते गरीबों के नाम खाद्य सुरक्षा के लिए जोड़े नहीं जा रहे हैं,और पात्र व्यक्ति भी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे है।