राजस्थानी में चिकित्सा, अंतरिक्ष, खेल हर विषय पर किताब लिखी जा सकती है :- एडवोकेट श्री राजेन्द्र 

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राजस्थानी की मान्यता की पैरवी वकील बनकर करनी होगी :- हरीश हैरी

पीलीबंगा

इनकम टैक्स पर ठेट राजस्थानी में करीब 700 पृष्ठों वाली पुस्तक “आवकलाग अर लागदेणार” के लेखक  श्री राजेंद्र एडवोकेट मुंबई हाईकोर्ट से हरीश हैरी ने आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी फेसबुक पेज पर लाईव चर्चा की। लेखक श्री राजेंद्र ने बताया कि मायड़ भाषा को मान्यता नहीं होना हम सब राजस्थानीयों के लिए पीड़ादायक है। इनकम टैक्स जैसे जटिल विषय पर सामान्यतः अंग्रेजी में ही पुस्तकें मिलती हैं। इनकम टैक्स पर ठेठ राजस्थानी में किताब लिखकर यह सिद्ध किया है कि राजस्थानी एक समृद्ध भाषा है जिसमें हर विषय पर किताब लिखी जा सकती है। राजस्थानी भाषा केवल कविता, कहानी, दोहा तक सीमित ना होकर बहुत विस्तृत है। दो लाख से ज्यादा शब्दों वाला शब्दकोश है। इस दौरान हरीश हैरी ने पूछा कि पंजाब की संगीत और फिल्म इंडस्ट्री 1700 करोड़ रुपए की है परंतु राजस्थानी इंडस्ट्री नाम मात्र की है। श्री राजेंद्र ने कहा कि राज के आश्रय बिना कला, संस्कृति फल फूल नहीं सकती। सम्राट विक्रमादित्य के दरबार में नौ रत्न थे उन्हें राज का आश्रय था जिस कारण इतिहास में उनका नाम है। राजस्थानी को मान्यता होगी तो हमारी इंडस्ट्री भी करोड़ों रुपयों की होगी। सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र में लाखों रोजगार के अवसर मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि ये पुस्तक सांसदों और विधायकों को भी देंगे ताकि सदन में राजस्थानी भाषा की मान्यता की मांग प्रबल तरीके से रख सके। संसद आठवीं अनुसूची में शामिल कर राजस्थानी को मान्यता दे वहीं राज्य सरकार राजभाषा अधिनियम में संशोधन कर राजस्थानी को राजभाषा बना सकती है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राजस्थानी सनातन धर्म की भाषा है। तेजाजी, जाम्भोजी, मीरा बाई, रामदेवजी, मेहाजी, महाराणा प्रताप से लेकर भील बालिका काळी बाई की मायड़ भाषा राजस्थानी ही रही है। राजस्थान की धरा सनातन धर्म, संस्कृति को पोषण करने वाली है। राजस्थानी की मान्यता से यहां सनातन धर्म और संस्कृति को बहुत बढ़ावा मिलेगा।

श्री राजेन्द्र ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी अभियान से जुड़कर गांव गांव में लोग राजस्थानी में बैनर, पोस्टर छपवाकर खुद मान्यता दे रहे हैं। हरीश हैरी ने कहा कि इनकम टैक्स पर छपी राजस्थानी भाषा की पहली किताब चिकित्सा, खेल, अंतरिक्ष, फिल्म उद्योग, राजनीति, धर्म, संस्कृति आदि विषयों पर लिखने के लिए दूसरे लेखकों के लिए प्रेरणा स्रोत का काम करेगी। कार्यक्रम के दौरान दर्शकों ने राजस्थानी भाषा संस्कृति से जुड़े कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे।

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