पदमपुर(गणेश तनेजा) सिन्धी भाषा मान्यता दिवस एंव संत कंवर राम जयंती के उपलक्ष में श्री झूलेलाल मंदिर में आयोजित संगोष्ठी में पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष लालचंद बादलनी ने इष्ट देव भगवान झूलेलाल की आराधना करते हुए कहा कि 10 अप्रेल 1967 को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता प्राप्त सिन्धी भाषा के ज्ञान व रोजगार के अवसरों को प्राप्त करने के लिये भारत सरकार को शीघ्र सिन्धी भाषा विश्वविद्यालय की स्थापना करनी चाहिए और राजस्थान में सिंधी अकादमी अध्यक्ष पद की नियुक्ति तुरंत प्रभाव से करनी चाहिए । बादलानी ने कहा कि सिन्धी भाषा के विश्वविद्यालय की मांग भारतीय सिंधु सभा की ओर से लगातार करने के बावजूद ना तो केंद्र सरकार गंभीर है ना ही प्रदेश की गहलोत सरकार गंभीर है । हालांकि इस गंभीर विषय को लेकर राष्ट्रीय मंत्री महेंद्र कुमार तीर्थणी , प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल वाधवानी सहित प्रदेश व केंद्र नेतृत्व भारत सरकार से चर्चा कर रहा है , निश्चित रूप से इसके सार्थक परिणाम सामने आएंगे । भारतीय सिंधु सभा के संभाग प्रभारी घनश्याम हरवानी ने राजस्थान सरकार से मांग की कि सिन्धी शोधपीठ का भी विधिवत संचालन प्रारम्भ करना चाहिए । अध्यक्ष तुलसी हंजवाणी ने संत कंवर राम के जीवन पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी एवं बताया कि 10 अप्रेल 1967 का इसलिए महत्वपूर्ण था कि सिन्धी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया । अब अकादमियों व राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद को सिन्धी विषय लेकर अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने चाहिये। गोष्टी में लालू मसाला , उपाध्यक्ष जेठाराम गंगवानी , सतीश पारवानी ,सतीश ठाकुर , अशोक पारवानी , हेमंत ठाकुर , दयाल चंद सिंधी , राजकुमार गजरा, घनश्याम मिठिया , गोविंद नारवानी, प्रेम डामा ,सुनील गोरी , राहुल पारवानी ,हैमन्त डामा , परमानंद सहित अन्य वक्ताओं ने विचार रखते हुये कहा कि सिन्धी भाषा के प्रति अभिभावकों को गम्भीर रहने से बच्चो का जुड़ाव भाषा पर अधिक केंद्रित रहेगा ।
