आजादी के अमृत महोत्सव में बबाई हवाई अड्डे का भी किया जाए विकास हवाई अड्डे की जमीन है राष्ट्रपति के नाम

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  • गोविंद राम हरितवाल
    राजस्थान में स्वतंत्रता से पूर्व जयपुर स्टेट के बाद सबसे बड़ी रियासत खेतड़ी थी . उस समय जयपुर के राजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने जब सांगानेर में 1935 इसवी सन में हवाई अड्डे का निर्माण करवाया ठीक उसी समय खेतड़ी के राजा बहादुर सरदार सिंह ने 1937 – 38 मैं बबाई गांव की कृषि योग्य भूमि में हवाई अड्डे का निर्माण करवा कर अपनी प्रजा हित के अवसरों को आगे बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान अदा किया था. इस हवाई अड्डे का निर्माण खेतड़ी के राजाजी ने अपने हवाई जहाज को खड़ा करने के लिए बनवाया था , उस समय राजस्थान में जयपुर दरबार सवाई मानसिंह द्वितीय के अलावा खेतड़ी राजा बहादुर सरदार सिंह के पास ही हवाई tbजहाज हुआ करता था , यह दोनों ही राजघराने आने जाने में हवाई जहाजों का प्रयोग करते थे. खेतड़ी राजा द्वारा निर्मित इस बबाई के हवाई जहाज मैदान पर द्वितीय विश्वयुद्ध के समय वर्ष 1943 में रंगून जा रहे युद्धक विमान में तकनीकी खराबी के आ जाने पर उसे इमरजेंसी लैंडिंग इसी मैदान पर करनी पड़ी थी , उसके पायलट ने मांवडा आर एस पोस्ट ऑफिस में जाकर जरिए टेलीग्राम अधिकारियों को सूचित किया था जिसके पश्चात जर्मनी से दूसरे विमान से इंजीनियरों ने आकर उसे ठीक किया . उस समय इंजीनियरों से गांव के सफाई कर्मी हरिराम ने अंग्रेजी में बात की क्योंकि हरीराम पानी के जहाजों में काम कर चुका था इसलिए वह अंग्रेजी समझ लेता था और जवाब दे देता था गांव के लोगों ने पायलटों और इंजीनियरों की खूब मदद की थी इससे वे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति हवाई जहाज मैं बैठकर उड़ान देखना चाहता है वह बैठ जाए हम उसे गांव पर चक्कर लगवाएंगे. इस पर गांव की एक महिला मोहरली मणियारी तैयार हुई, पायलट ने उसे बैठाकर गांव के ऊपर चार चक्कर कटवा कर उतारा. इस हवाई मैदान पर खेतड़ी के राजा बहादुर सरदार सिंह के अलावा जयपुर स्टेट के राजा मानसिंह द्वितीय राजस्थान के मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री के विमानों को भी उतरने का गौरव हासिल रहा है शास्त्री जी खेतड़ी के राजा बहादुर सरदार सिंह जी से मिलने के लिए आए थे जब वह वापस जयपुर जाने लगे तब वहां उपस्थित ग्रामीणों से मुख्यमंत्री ने कहा कि एक व्यक्ति जो भी जयपुर चलना चाहे वह विमान में चल सकता है. इस पर गांव के युवक पूरणमल लाटा ने हवाई सैर का आनंद लिया और वे जयपुर गए वापसी में वे रेल द्वारा नीमकाथाना उतरकर बबाई आए. बबाई का यह हवाई अड्डा आज भी सामाजिक व सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है . इसी बात को ध्यान में रखकर इसका विस्तार किया जाना आवश्यक है इसी गांव के नजदीक राष्ट्रीय अजीत विवेक संग्रहालय देश की एकमात्र कोर लाइब्रेरी कॉपर माइंस का बड़ा कारखाना व आयुध डिपो तथा शेखावाटी क्षेत्र से विदेशों में आने जाने वाले लोगों और सैनिकों के लिए यहां हवाई अड्डा बनाया जाना अति आवश्यक है इस संदर्भ में गांव के वरिष्ठ पत्रकार एवं इतिहासकार गोविंद राम हरितवाल ने प्रधानमंत्री और नगर विमानन मंत्री को पत्र लिखकर इस हवाई अड्डे के विकास की मांग की है . वर्तमान में यह हवाई अड्डा भारत के राष्ट्रपति के नाम ग्राम प्रतापपुरा के खसरा नंबर 762 में दर्ज है . इसका क्षेत्रफल 54.39 हेक्टर है.

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